संझाती बेरा मं रोवत हे लरिका,
अतके बेर धरसाथे पहटिया खरिखा।
सास असन रोवाथे चूल्हा के कुहरा,
दुच्छा हे जिंनगी अस चाऊर के मरिका।
भोंभरा अस, तपय परोसिन के झगरा,
कइसे के बांधव में ए घर के फरिका
गंगा अऊ काशी अस लागय घर कुरिया
अन्ते भटकावत हे एसो के बरिखा।