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एहसास / सुदर्शन रत्नाकर

तुम्हारे हृदय को छूकर
लौटते हुए एहसास
मेरी साँसों में समा जाते हैं
तुम दूर हो मुझसे, बहुत दूर
पर तेरे-मेरे ये एहसास
एक हो जाते हैं
मैं तुझमें समा जाती हूँ
तुम मुझमें समा जाते हो।