हरियाणवी लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
ए परदेसी चाल्या जाइये, घर बूझे सै मारे नै
ए मेरी मां बाम्हण कै जारी बाबल नम्बरदारी मैं
ए मेरी भाभी माण्डे पोवै, दाल रघैं म्हारे हारे मैं
ए मेरा बीरा ढोल जिमावै, जले की नजर चुबारे मैं
ए मेरी माता लत्ते दिखावै, बैली करदी बाड़ै मैं