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ऐलै चुनाव / त्रिलोकीनाथ दिवाकर

ऐलौ चुनाव
सबके लुभाव
नै मानौ त‘
लोरे चुआव
ऐलौ चुनाव।

मुँहो पर हँसनी
जीहो पर चसनी
कोय उल्टा कहै त‘
सुनी मुड़का हिलाव
ऐलौ चुनाव।

फँसाबै जालो में
रहै कोय हालो में
कुच्छू लै दै क‘
भरोसा दिलाव
ऐलौ चुनाव

चमचा के जै-जै
परचारो छै थै-थै
रेसो मे आबै ल‘
खोड़ा पढ़ाव
ऐलौ चुनाव।

चुनाव जीती क‘
छोड़ नीति क‘
जनता के पैसा सें
खिचड़ी पकाव
ऐलौ चुनाव।