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ऐलै फागुन के... / श्रीस्नेही

ऐलै फागुन के महीना हुलसै जिहरा-मोर
बागऽ में मेला लागलऽ झूला झूलै मस्त किशोरी!
डार-डार कोइलिया बोलै टपकै मद मँजरारी!!

ऐलै फागुन के महीना हुलसै जिहरा-मोर!
मटर-खेसाड़ी बूट-रहारी झुमका नाँकी झुमकै!
तीसी-जऽ गेहूँ के बाली कंगना नाँकी खनकै!!
ऐलै फागुन के महीना हुलसै जिहरा-मोर!
रात वसंती हवा में मस्ती गोर चँदवा चदरारी!
टोला-टोला ढोलक बाजैगावै किसनमा होरी!!
ऐलै फागुन के महीना हुलसै जिहरा-मोर!
गाँवऽ के छैला नंदे के लाला बनी गेलै रास-रचैया!
सबके धिया राधा बनी डोलै नाचै ता-ता-थैया!!
ऐलै फागुन के महीना हुलसै जिहरा-मोर!