फूल तोड़ लेता है जब नाता
डाल से कहाँ जुड़ पाता है
पर जब उमड़ता है सागर
सर पटक-पटक कर भी
लौट-लौट आती हैं लहरें
टूट-टूट कर भी
नहीं तोड़ पाती हैं नाता
ऐसा क्यों होता है?
फूल तोड़ लेता है जब नाता
डाल से कहाँ जुड़ पाता है
पर जब उमड़ता है सागर
सर पटक-पटक कर भी
लौट-लौट आती हैं लहरें
टूट-टूट कर भी
नहीं तोड़ पाती हैं नाता
ऐसा क्यों होता है?