ऐसा जगिआ ज्ञान पलीता<ref>चिणग</ref>।
ना हम हिन्दू ना तुर्क जरूरी,
ना इशक दी है मनजूरी,
आशक ने हरि जीता।
ऐसा जगिआ ज्ञान पलीता।
वक्खो ठग्गाँ शोर मचाया,
जम्मणा मरना चा बणाया,
मूरख भुल्ले रौला पाया,
जिस नूँ आशक ज़ाहर कीता।
ऐसा जगिआ ज्ञान पलीता।
बुल्ला आशक दी बात न्यारी,
प्रेम वालिआ बड़ी करारी<ref>चैन</ref>,
मूरख दी मत्त ऐवें मारी,
वाक सुखन<ref>वचन</ref> चुप्प कीता।
ऐसा जगिआ ज्ञान पलीता।
शब्दार्थ
<references/>