ऐसा हुआ प्रबन्ध है,
हर कोई निर्बन्ध है।
दिल्ली भी अब क्या करे?
सत्तासीन कबन्ध है।
राम टँगे दीवार पर,
रावण से सम्बन्ध है।
दुख नयनों तक आ गया,
टूट रहा तटबन्ध है।
कल तो पड़ जाता मगर,
पीड़ा से अनुबन्ध है।
कहने को तो है बहुत,
वाणी पर प्रतिबन्ध है।