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ऐसी भी / नंदकिशोर आचार्य

ऐसी भी होती होगी
              आवाज़
न कोई बोलता जिसमें
न सुनता है जिसे कोई

होता होगा ऐसा मंज़र
न जिसमें दीखता है कुछ
न जिसको देखता कोई

प्रतीक्षा होगी ऐसी भी
किसी के लिए नहीं है जो
न जिस को कर रहा कोई

प्रेम की बस्ती देखो
बस्ती है फिर भी
न इस को बसाता कोई
न इसमें बसता है कोई ।

22 अप्रैल, 2009