Last modified on 17 मई 2009, at 22:09

ऐसे में / विजय गौड़

घर के भीतर
सीलन भरी दीवारों पर,
जहाँ सब कुछ चट कर जाने को
तेज़ी से दौड़ रही है दीमक
क्या, बचाई जा सकती हैं वहाँ क़िताबें ?

बचाया जा सकता है
लकड़ी का सामान,
संदूक ?

वहाँ नहीं बची रह सकती
दो घड़ी सुस्ताने के लिए
लगाई गई चारपाई

ऐसे में तुम
वर्षों से सूखे तैल चित्र को
कैसे बचा पाओगे ?