Last modified on 31 अगस्त 2013, at 13:00

ऐ सबा! लौट के किस शहर से तू आती है? / कैफ़ी आज़मी

यदि इस वीडियो के साथ कोई समस्या है तो
कृपया kavitakosh AT gmail.com पर सूचना दें

ऐ सबा! लौट के किस शहर से तू आती है?
तेरी हर लहर से बारूद की बू आती है!

खून कहाँ बहता है इन्सान का पानी की तरह
जिस से तू रोज़ यहाँ करके वजू आती है?

धाज्जियाँ तूने नकाबों की गिनी तो होंगी
यूँ ही लौट आती है या कर के रफ़ू आती है?

अपने सीने में चुरा लाई है किसे की आहें
मल के रुखसार पे किस किस का लहू आती है!