Last modified on 17 अक्टूबर 2013, at 07:01

ओळख !/ कन्हैया लाल सेठिया

आंई
खिणां में है
काळ जयी खिण
दीठ चाहीजै,

आंईं
सबदां में है
परम सबद
परख चाहीजै,

आईं
सुरां में है
अनहद
ओळख चाहीजै !