Last modified on 28 जून 2017, at 15:13

ओळ्यूं : तीन / ओम पुरोहित ‘कागद’


नांव थांरो
कदै नीं बिसरै
जे बिसरै ई तो
आंख्यां रै काच
नाचतो ई रैवै
थांरो उणियारो!

आंख्यां में भंवतो
थांरो उणियारो
थंारी ओळ री
इकलग ओळ्यूं
जाणै भींत माथै
ठोक्योड़ी कोई
अदीठ कील!