ओस की इक बूँद जैसे
पकड़े बेल के पत्ते को
तय है उसका नीचे गिरना
तड़पे संग में रहने को
पल भर को
बस पल भर को तो जीवन हो...।
ओस की इक बूँद जैसे
पकड़े बेल के पत्ते को
तय है उसका नीचे गिरना
तड़पे संग में रहने को
पल भर को
बस पल भर को तो जीवन हो...।