ओ ध्रुवतारे !
तुम्हें सौंपता हूँ यह दो मुस्काते चेहरे,
जब तक रहना
तुम इन दोनों की मुस्कान सम्हाले रखना।
यह दो पंछी अभी गगन में आना जाना सीख रहे हैं
उससे भी ज्यादा भोले हैं जितने भोले दीख रहे हैं
तुम सूरज के घर रहते हो
चाहे सूरज से कह देना,
पर दायित्व तुम्हारा है यह इनकी ओर उजाले रखना।
देखो!अगर देख सकते हो इन आँखों की चमक अनूठी
इन के आगे अंबर के हर तारे की आभा है झूठी
इन आँखों के स्वप्न सुरीले,
शनैः शनैः आकार ले रहे
हो संकल्प अटल तुम जैसे उम्मीदों को पाले रखना।
ये जो सीख रहे हैं पल पल बारी बारी दुनिया दारी
माँग भरे सिन्दूर खड़ी है इनकी हर इच्छा सुकुमारी
अधिक भला क्या कहना इनसे
पर इतना तो आवश्यक है
तन पर शाल दुशाले रखना पर मन में मृगछाले रखना।