ओ री तितली, कहाँ चली तू,
कितनी अच्छी और भली तू!
खूब सँवरकर जब आती है,
रंगों का गाना गाती है।
फूल देखते रह जाते हैं,
खिल-खिल हँसते-मुसकाते हैं।
पंखों में उनकी खुशबू ले,
और हवाओं में बिखरा दे!
ओ री तितली, कहाँ चली तू,
कितनी अच्छी और भली तू!
खूब सँवरकर जब आती है,
रंगों का गाना गाती है।
फूल देखते रह जाते हैं,
खिल-खिल हँसते-मुसकाते हैं।
पंखों में उनकी खुशबू ले,
और हवाओं में बिखरा दे!