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औरतें: पाँच / तुलसी रमण

जब बिस्तर में सो रहा होता
पौष की सुबह का गाँव
दू.....र कहीं जंगल में
            गाती हैं
तारों की गिनती में
             भुलाए जाते
दिन भर के थके-हारे बच्चे
तब कहीं लौटती हुई
बान के जंगल में
दूध टपके आँचल से
             बतियाती हैं

भोर के तारे को
साँध्य तरे से
मिलाती हैं
जुलाई 1998