बीच गाँव बजता
चैत का ढोल
झूमती गाती
एक माला औरतें
निकाल लाती कलेजे से बाहर
धड़कता हुआ पहाड़
देह में उतर आते देवता
हँसती हैं औरतें
रोती हैं
पेड़ फसल मवेशी और
मनुष्य के लिए
प्रार्थना की लय में
पृथ्वी के हाथ पकड़
नाचती जाती हैं
जुलाई 1998