औरत (सात)
रोज़-रोज़
संगेलती है कचरा
बाहर
रोज़-रोज़
समेटती है कचरा
भीतर
एक नहीं
शत-शत कंठ विषपाई
नारी सदा-सदा से.
औरत (सात)
रोज़-रोज़
संगेलती है कचरा
बाहर
रोज़-रोज़
समेटती है कचरा
भीतर
एक नहीं
शत-शत कंठ विषपाई
नारी सदा-सदा से.