औरतों के देह में होती है
एक अलग गन्ध
जिससे महकता है पुरुष
औरत की देह में होता है पसीना
जिससे झुँझला जाता है पुरुष
औरतों की देह में होता है आकर्षण
जिसमें खोए रहना चाहता है पुरुष
औरत की देह में होती है थकान
जिससे ऊब जाता है पुरुष
औरतों की देह में खोजता है वासना की ज्वाला
जिसमें जल जाना चाहता है पुरुष
औरत की देह में होती है चूल्हे की आग
जिससे तप जाता है पुरुष..
औरतों से होती है औरत
औरतों को जानती है औरत
औरतों को देखती है औरत
औरतों पर झुँझलाती है औरत
औरत देखती है औरतों के पास पुरुष
औरत हर लम्हा देखती है कहीं
औरतों की ही तरह
हर रात महकती है,
गमकती है,
इठलाती है औरत..
औरत सुबह की पहली किरण से ही
औरत से औरत बन जाती है
क्या कमाल की होती है औरत
बेमिसाल होती है औरत
एक पुरूष की नज़र में
एक औरत की नज़र में …
क्या-क्या होती है औरत