पुरुष को चाहिए
सब अपने मन का
औरत का क्या
झोंक लगाते
धूल झाड़ते
उधड़ा सीते
गाँठ लगाते
गाँठ खोलते
गहने गढ़वाते
गहने तुड़वाते
इसे मनाते
उसे पतियाते
भागवत सुनते
कीर्तन करते
जी जाती है
पुरुष को चाहिए
सब अपने मन का
औरत का क्या
झोंक लगाते
धूल झाड़ते
उधड़ा सीते
गाँठ लगाते
गाँठ खोलते
गहने गढ़वाते
गहने तुड़वाते
इसे मनाते
उसे पतियाते
भागवत सुनते
कीर्तन करते
जी जाती है