समझना नहीं चाहती
अपने साथ हो रही
नाइंसाफ़ी को
इस नहीं चाहने पर
रहती है अडिग
पल-पल
साधनारत सन्यासी-सी
क्योकि इसी पर
टिका है
औरत का स्वर्ग
समझना नहीं चाहती
अपने साथ हो रही
नाइंसाफ़ी को
इस नहीं चाहने पर
रहती है अडिग
पल-पल
साधनारत सन्यासी-सी
क्योकि इसी पर
टिका है
औरत का स्वर्ग