Last modified on 13 सितम्बर 2012, at 15:56

औरत - 5 / संगीता गुप्ता


उसे देख
बार - बार, हर बार
यूं लगा
एक जमी हुई झील वह
लाख चाहे तब भी
खुद तैर नहीं पायेगी उसमें
और
कोई दूसरा भी उसमें
कहां डूब पायेगा