कितना अच्छा है
कोई परवाह नहीं कीचड़ में सन जाने की
पानी से हुआ कीचड़
पानी से घुल जाएगा
जानते है
पानी में पानी के संग फिसलते बच्चे
पानी में खिल उठते हैं बच्चे
धुलकर खिल गया है जैसे नीला-नीला आकाश
धुलकर खिल उठा है जैसे पेड़ के हरे-हरे पात
धुलकर और खिल उठेंगे
बच्चों के धुले-धुलाए मन !