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और बात है / सुनीता जैन

कविता में तुमसे
बातें करते रहना
और बात है

कविता में तुम को लेकर
कविता लिखना
और बात है

कविता में तुम से मिल
खिल जाना
और बात है

किन्तु कविता के बाहर,
तुमसे मिलने पर
तुम को खोने का भय,

और बात है