हमारे
अहसासों की धरती पर
पल रहे हैं कुछ खट्टे-मीठे
सपने
जो मुखौटे को चीरकर
दिल की तलहटी में फलते हैं
लोग तो पूजा करते हैं शिखर की
और हम...?
मूल गुजराती भाषा से अनुवाद : स्वयं कवि
हमारे
अहसासों की धरती पर
पल रहे हैं कुछ खट्टे-मीठे
सपने
जो मुखौटे को चीरकर
दिल की तलहटी में फलते हैं
लोग तो पूजा करते हैं शिखर की
और हम...?
मूल गुजराती भाषा से अनुवाद : स्वयं कवि