छुआ तुमने
और हम सूरज हुए
हुए यह घटना
सखी, बरसों हुए
हम कँटीले झाड़ थे
सरसों हुए
देह में
अनगिन नये अचरज हुए
हुईं साँसें
धूप की पगडंडियाँ
याकि...
पूनो में नहाई घाटियाँ
दिन किसी
त्योहार की सजधज हुए
फूल की वह छुवन
अब इतिहास है
एक मीठी याद की
बू-बास है
नेह-पाती लिखे
हम कागज हुए