कंटक को मल्ल मर्द
दौतन को सिर छेद
सुत तेरा नंद कृष्ण
तोही जानी है, गोपिन को प्राननाथ
भक्तन कू करे सनाथ
शास्तर की ऐसी बात
संत जानी है॥
धरम का रक्षन आया
पाप कू सब डार दिया
बोही सुत कृष्ण भया
बात ये सत्य मानी है
सुत मत कहो नंद, ब्रह्म सो ये ही गोविंद।
बहिनी का भार प्रबंध, सत्य सुदाईये॥