Last modified on 27 दिसम्बर 2013, at 17:39

कंधे / राजा खुगशाल

ये मेरे कंधे हैं
इन पर चढ़कर
बचपन ने टहनियां लपकीं
संतरे तोड़े
घोंसले देखे चिड़ियों के

आसमान का बोझ ढोते
पठारों की तरह चुपचाप
ये मेरे कंधे हैं
गरदन के आस-पास
मेरे साथ रहते कंधे
साथ सोते और साथ जागते कंधे

रेत के टीलों पर
जीवन की फजीहत में
कंधों पर रखते हैं दोस्तं हाथ
और सीने से कुछ पत्थोर लुढ़क जाते हैं
कानों के ठीक नीचे
ये कंधे
सहनशील कंधे हैं

घास लकड़ियों के गट्ठर
हाट-बाजार तक पहुंचाते कंधे
दुनिया के भरोटों को ढोते कंधे
अकड़ते कॉलरों के पास
ये कंधे
सहज कंधे हैं

आँखों ने कभी नहीं देखा
कैसे रहते हैं कंधे
कानों ने कभी नहीं सुना
क्यां कुछ कहते हैं कंधे
फटे हुए कंधे
छिले हुए कंधे

वक्त की बांहों की जड़ में
कंधों से मिले हुए कंधे

ये मेरे कंधें हैं