बघेली लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
कउन दिशा से ओनई बदरिया कौन दिशा रही छाय
राजा के सोहागवा
पूरब दिशा से ओनई बरिया पश्चिम दिशा रही छाय
राजा के सोहागवा
विनतिन बैठीं हैं धेरिया कउन कुंवरि
सुना मेघ विनती हमार
राजा के सोहागवा
एक नन्चू बुंदिया छिमा करवा मेघवा
कि भीगइं लड़िल देई मांग
राजा के सोहागवा
मघवा परख्यों फगुनवा परख्यों
कि परख्यों जेठ बैसाख
राजा के सोहागवा
अब कैसे बुंदिया छिमा करैं मेघवा
कि घुमड़ि के लाग अषाढ़
राजा के सोहागवा