मैथिली लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
कओने वन बाजय मुरली
बंसुरी शब्द सुनि ठाढ़ि भेली राधा
खसय ससरि चुनरी, कओने वन बांजय मुरली
अपन गृह नीपधि राधा
गोबर हाथ कढ़ी, कओने वन बाजय मुरली
एक आँखि राधा काजर कयलनि
दोसर आँखि बिसरी, कओने वन बाजय मुरली
कओने वन बाजय मुरली
बंसुरी शब्द सुनि ठाढ़ि भेली राधा
खसय ससरि चुनरी, कओने वन बांजय मुरली
अपन गृह नीपधि राधा
गोबर हाथ कढ़ी, कओने वन बाजय मुरली
एक आँखि राधा काजर कयलनि
दोसर आँखि बिसरी, कओने वन बाजय मुरली