कधौं सेस देस तें निकसि पुहुमि पै आय,
बदन ऊचाय बानी जस असपन्द की.
कैधौं छिति चँवरी उसीर की दिखावतिहै,
ऐसी सोहे उज्ज्वल किरन जैसे चन्द की.
जानि दिनपाल रघुनाथ नंदलाल जू को,
कहैं रघुनाथ पाय सुघरी अनन्द की.
छूटत फुहारे कैधौं फूल्यो है कमल तासो,
अमल अमंद मढ़े धार मकरन्द की.