Last modified on 27 जनवरी 2015, at 15:00

कचरिया तोरो व्याव री / बुन्देली

   ♦   रचनाकार: अज्ञात

कचरिया तोरो व्याव री,
खरबूजा नेंवतें आइयो।
आलू दूल्हा भटा बराती,
चिरपोंटी सज ल्यइयों,
सजी गड़ेलू बजे तूमरा,
कुम्हड़ा ढोल बजैयो। कचरिया...
चले फटाका आतिशबाजी,
गुइयां आन चलैयो। कचरिया...
केला करेला भये मामा जू,
कैथा ससुर बुलैयो,
सेमे घुइयां भई गोरैयां,
मिरचे दौड़ लगैयों। कचरिया...
पांव पखरई में आये डंगरा,
कन्यादान कलीदो दैयो।
परियो सकारे उठियो अबेरे,
दुफरे चौका लगैयो। कचरिया...
मोड़ा मोड़ी मांगे कलेवा,
दो घूंसा दे दैयो। कचरिया...