कोयल को चुप देख गधे ने
शुरू किया जब गाना,
तभी अचानक एक ऊँट का
हुआ कहीं से आना।
कहा ऊँट ने गला फाड़ कर
‘ओ उल्लू के पट्ठे!!
जान-बूझकर खोल रहा क्यों
अपने कच्चे चिट्ठे!
-साभार: धर्मयुग, 1968
कोयल को चुप देख गधे ने
शुरू किया जब गाना,
तभी अचानक एक ऊँट का
हुआ कहीं से आना।
कहा ऊँट ने गला फाड़ कर
‘ओ उल्लू के पट्ठे!!
जान-बूझकर खोल रहा क्यों
अपने कच्चे चिट्ठे!
-साभार: धर्मयुग, 1968