Last modified on 9 जनवरी 2011, at 15:28

कट चुके खेत में / केदारनाथ अग्रवाल

कट चुके पहले
सिर
और धड़
अब
पाँव-
सिर्फ पाँव
खेत में खड़े
कुछ नहीं जानते
कैसी क्या दुनिया है
कैसा क्या मौसम है
कैसा क्या साल है।

रचनाकाल: सितंबर १९६९