Last modified on 8 सितम्बर 2009, at 10:43

कठिन समय में / मनीष मिश्र

हमें कठिन क्षणों में भी गुनगुनाना चाहिए अपना मौन
बुननी चाहिए उधड़ते हुए रिश्तो की सीवन
लिखनी चाहिए प्रेम कविताएँ
निहारना चाहिए चाँद के आलोक में लिपटता आकाश
रखना चाहिए एक स्मृति-फूल किताब के भीतर
और लौटना चाहिए पुराने दोस्त दिनों में

हमें कठिन समय में भी
अपने आदि-मंत्र की तरह
सहेजकर रखनी चाहिए
बची खुची
जीवन के प्रति अपनी
कोमल जिजीविषा!