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कठै लाधै मिनखपणूँ / कन्हैया लाल सेठिया

कठै लाधै मिनखपणूँ,
धूणैं री भभूत हुम्यो !
भेळप भिळगी’र मेळ-
चील रो मूत हूग्यो,
नाख दी नाड़ नेकी-
जण जण जमदूत हुग्यो
किण नै कह’र कुण सुणै,
कलजुग अवधूत हुग्यो !