Last modified on 6 मार्च 2017, at 11:05

कदी आ मिल / बुल्ले शाह

कदी आ मिल बिरहों सताई नूँ।
इशक लगे ताँ है है कूकें, तूँ की जाणे पीड़ पराई नूँ।
कदी आ मिल बिरहों सताई नूँ।
जे कोई इशक विहाजिआ लोड़ें, सिर देवें पैहले साईं नूँ।
कदी आ मिल बिरहों सताई नूँ।
अमलाँ वालिआँ लंघ लंघ गइआँ, साडिआँ लज्जाँ माही नूँ।
कदी आ मिल बिरहों सताई नूँ।
गम दे वहम सितम<ref>जुल्म</ref> दीआँ काँगाँ किसे कहर कप्पड़ विच्च पाई नूँ।
कदी आ मिल बिरहों सताई नूँ।
माँ पियो छड्ड सइआँ मैं भुल्ली आँ, बलिहारी राम दुहाई नूँ।
कदी आ मिल बिरहों सताई नूँ।

शब्दार्थ
<references/>