Last modified on 21 मई 2011, at 04:21

कद / नवनीत पाण्डे

न जाने कब
उठ गए उसके पैर
धरती से कुछ ऊपर
और-
मेरे न चाहने पर भी
उसने छोड़ दी मेरी अंगुली
हो गया अलग
"मैं बहुत छोटा दिखता हूं ऊपर से"
वह बोलता है ऊपर से
मैं उसकी छाया ही देख पा रहा हूं
पर सुन रहा हूं बार-बार
"मैं बहुत छोटा दिखता हूं ऊपर से"