कनाट सरकस
कनाट सरकस--
अर्थात,
इन्द्रजालीय मार्गों के फंदे में
सर का कस जाना...
रतियोगियों की सिद्ध-भूमि है यह
जहां रतियोग की कामना में दत्तचित्त
विन्डोशापिंग के बहाने परिक्रमारत
नितम्बों पर बकुल-ध्यान लगाए,
--किसी पर्वतवासिनी देवी के दर्शनार्थ
पर्वतारोहण करने के अंदाज़ में
चलते जाना, चढ़ते जाना
चढ़ते ही जाना, चलते ही जाना
साधक आवेश में--अथक, अविराम...
परमात्मा से कातर याचना करते हुए
आज की साधना का सुफल,
पर, इच्छित के पर-पुरुष-संग
ह्रदय-विदारक सुदूर कार-गमन पर
ईश्वर को भरपूर कोसते हुए
हाथ मल-मल, रोते और पछताते हुए,
फिर, बिखरे मनोयोग बटोरकर
मध्यस्थ कामिनी-हाट लगे पार्क में
एक सुविधाजनक कोने में
जम जाना, पसर जाना
--टकटकी लगाए हुए
इतरगंध-प्रसारक देहों पर...