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भील लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
बेनि भाई आवे तिं, अड़ि जाजी वो।
भाइ पइस्या आले तिं, छुड़ि देजी वो।
बेनि काको आवे तिं, अड़ि जाजी वो।
काको बुकड़ि आले तिं, छुड़ि देजी वो।
बेनि बणवि आवे तिं, अड़ि जाजी वो।
बणवि करोंदि आले तिं, छुड़ि देजी वो।
बेनि बहणिस् आवे तिं, अड़ि जाजी वो।
बहिण छल्लो आले तिं, छुड़ि देजी वो।
-वधू पक्ष वाले कन्यादान करते हैं और दुल्हन से गीत में कहा गया है कि- हे बनी! भाई कन्यादान के लिए आए तब उसे पकड़ लेना, जब रुपये दे तब छोड़ना। काका आएँ तक उन्हें पकड़ लेना, बकरी दें तब छोड़ना। बहनोई आएँ तो उन्हें भी पकड़ लेना, करोंदी दें तब छोड़ना। बहन आए तो उसे भी पकड़ लेना, छल्ला दें तब छोड़ना।