♦ रचनाकार: अज्ञात
भारत के लोकगीत
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कन्हैया तोरी चितवन लागे प्यारी।
सावन गरजे भादों बरसे
बिजुरी चमके न्यारी (कन्हैया)
मोर जो नाचे पपीहा बोले
कोयल कूके प्यारी (कन्हैया)
नन्हीं-नन्हीं बुंदिया मेहा बरसे
छाई घटा अंधियारी (कन्हैया)
सब सखियां मिल गाना गाए
नाचे दे दे तारी (कन्हैया)