आह जो दर्द से होकर गुजरी,
वो भी किसी सरहद पर जाकर,
रुक गयी...
एक सदा जो ख़ामोशी से उठी थी,
वो भी पहाड़ों से टकरा कर,
बिखर गयी...
आसमान पे उड़ने वाले परिंदे की,
परवाज़ जो देखी तो सोचा कि-
मेरी रूह पर,
ये जिस्म का कफस क्यों है ?
आह जो दर्द से होकर गुजरी,
वो भी किसी सरहद पर जाकर,
रुक गयी...
एक सदा जो ख़ामोशी से उठी थी,
वो भी पहाड़ों से टकरा कर,
बिखर गयी...
आसमान पे उड़ने वाले परिंदे की,
परवाज़ जो देखी तो सोचा कि-
मेरी रूह पर,
ये जिस्म का कफस क्यों है ?