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कबूतर / राहुल शिवाय

दिखता कितना भोला-भाला
होता भूरा, उजला, काला
गुटर-गुटुर-गूँ करता रहता
नहीं लगाता मुँह पर ताला

चलता छम-छम चाल कबूतर
भरता मन में प्यार कबूतर
आसमान में उड़ता जाता
अपने पंख पसार कबूतर

चुनता खाने को यह दाना
खाता बिल्कुल सादा खाना
विश्व-शांति का दूत कबूतर
करता बच्चों को दीवाना।