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कब तक? / कस्तूरी झा ‘कोकिल’

आश्वासन केऽ पूड़ी-पूआ कबतक खैबै भैइया?
आसमान केऽ नीचें बोलऽ कबतक रहबै भैइया?

पेट पीठसँ सटलऽ देखऽ
फटलऽ चिटलऽ धोती।
बुधनी केऽ घघरी गुदरी छै
नंगधरंग पोता-पोती।

बीपीएल मुखिया जी खैलखिन करबै कोन उपैइया?
आश्वासन केऽ पूड़ी-पूआ कबतक खैबै भैइया?
आसमान केऽ नीचें बोलऽ कबतक रहबै भैइया?

सरकारी कागज बाँटै छै
तीस दिनों रऽ काम।
बेरोजगार बैठलऽ छै बुधना,
कहाँ निकलै छै नाम?

केकरा कहियै तोंहीं बताबऽ कोय नै छै सुनबैइया।
आश्वासन केऽ पूड़ी-पूआ कबतक खैबै भैइया?
आसमान केऽ नीचें बोलऽ कबतक रहबै भैइया?

बी.डी.ओ. आफिस सें गायब,
दुरलभ भेंट करमचारी।
कागज केऽ साथैं माँगै छै
बड़का नोट हजारी।

डी.एम. के दरबार दूर छै लागतै बीस रुपैइया
आश्वासन केऽ पूड़ी-पूआ कबतक खैबै भैइया?
आसमान केऽ नीचें बोलऽ कबतक रहबै भैइया?

-अंगिका लोक/ जनवरी-जून, 2010