दस्तक बजती रहती है
कोई नहीं आता
कुछ कहती है तन्हाई
समझ नहीं आता
हर लमहा ऐसा उलझे
सुलझाया नहीं जाता
वक्त ये कैसा
बिताया नहीं जाता
दस्तक बजती रहती है
कोई नहीं आता
कुछ कहती है तन्हाई
समझ नहीं आता
हर लमहा ऐसा उलझे
सुलझाया नहीं जाता
वक्त ये कैसा
बिताया नहीं जाता