कान्हा पार कामर लटकैलें कमरथुआ ऐलोॅ छै आज।
टुहु-टुहु केसरिया रंगोॅ सें, सजलोॅ छै सब के सुभ साज॥
रंग-बिरंगी झंडा-झडो कामर पर लहराबै छै।
बोल्-बम्-बोल बम“ के, नारा सब के मुँह पर धहराबै छै॥
सुल्तानगंज जँधीरा घाटोॅ में करि केॅ गंगा असलान।
जोॅल भरी केॅ गंगाजी के, बैद्यनाथ पर धरलें ध्यान॥
तीन दिनों में पैदल जैते, जोॅल चढ़ैतै बाबा पर।
बाबा के परसादी पैतै, तबेॅ सिद्ध होते कामर॥