कम-कुलिश माँझे भमई लेली।
समता जोएँ जलिल चण्डाली॥
डाह डोम्बिधरे लागेलि आगी।
ससहर लइ सिंचुहु पाणी॥
णउ खरे जाला धूम ण दी सइ।
मेरु सिहर लइ गअण पइ सइ॥
दाढ़इ हरिहर ब्राह्मण नाडा (भठ्ठा)।
दाढँइ नव-गुण शासन पाडा (पट्ठा)॥
भणइ धाम फुड़ लेहुरे जाणी।
पंचनाले ऊठे (ऊध) गेल पाणी॥
स्रोत:
- "अंगिका भाषा और साहित्य" — बिहार राष्ट्रभाषा परिषद
- "हिंदी काव्य धारा" — महापंडित राहुल सांस्कृत्यायन