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करकी बदरिया / मुनेश्वर ‘शमन’

झिम-झिम बरसाय करकी बदरिया,
भावय नञ बिन पिया अटरिया।
 
पुरबा जगवय सुतल सपनमा,
ताकय रह-रह रहिया नयनमा,
बेकल प्यासल सांस नजरिया !

फुही भिंजवय झाँझर अँचरबा,
बह गेल अँसुअन संग कजरबा
कोरी मोरी देह चुनरिया।।

अँगना उदास देहरी जागल,
अधरतिये उठ चौंकय पायल,
बिसरल निपट-निठुर साँवरिया !