♦ रचनाकार: अज्ञात
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रांधत देखेंव मोगरी मछरी
परसत देखेंव भोंगा सागे।
अइसन सुआरी बर
बड़ गुस्सा लागे।
भारतें तुतारी दुई चारें।
माहिरा तुतारी दुई चारें।
चलि देबों मइके हमारे।
मसके देइ मइके तुम्हारे।
कर लेब दूसर बिहांव।
कर लेइहा दूसर बिहाव
हमर सूरत कहां पइहा।
अइसन सुधरई का करबो।
चिटको तो चाल कहर नइहे।